jivit
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वीरो के रक्त से रंगी वीरो की रंग भूमि
श्रृंगार किया भूमि ने आज वीरो के कर्म से
है ये वीरो की कर्म भूमि
युद्ध क्षेत्र में दिया परिचय वीरो ने अपने शौर्य का
माँ को भेट किया
पुत्रों ने शीश माँ के शत्रु का
शेर घायल थे मगर घातक भी थे वो वार से
शत्रु का संघार किया
अपने एक ही वार से
साँसे न थी साथ में पर मातृभूमि की गोद थी
बिछी हुई थी धूल की चादर सहादत के सजदे में
लाश लिपटी थी हमारी तीन रंग के तिरंगे में
तिरंगा भी आधा झुका हुआ था हमारी सहादत के सजदे में
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